Thursday, May 29, 2014

Every Chest Pain Is Not Heart Attack

Angina pectoris

Due to atherosclerosis [narrowing of coronary arteries] lesser blood flows through coronary arteries hence less oxygen is supply to heart muscles. The sensation of pain is caused by the production and collection of unoxidised metabolic products in the heart muscles which in turn stimulate the numerous sensory nerves surrounding coronary arteries. From there it is conducted via nervous pathways to the area where it is felt as chest pain or Angina pectoris [commonly known as angina].

Every Chest Pain Is Not Heart Attack
  • The pain of angina pectoris starts after physical exertion or emotional outburst in the region of behind sternum [commonly known as the breastbone]. Dull pain which radiates to the left arm towards the little finger. This is relieved soon after taking rest and nitrite tablets. Pain is transitory and lasting not less than a minute and generally not more than 15 minutes. Pain associated with heart attack is more prolonged and usually not initiated by any physical exertion. It may be accompanied by Tachycardia [rapid heartbeat], sweating, breathlessness, unconscious, fall down, most probably  low B.P. This type of pain lasts for several hours and relieved after taking specific injections and medicines.
  • Sprain and strain in the muscles and ligament about the lower neck and upper thoracic spine is also responsible for unrecognised pain over the region of heart and left arm. Stiff neck is the obvious symptom.
  • Osteoarthritis of upper thoracic spine or lesions of spinal cord or nerve endings generates shooting pain in the heart region. This pain occurs in band-like zones covering front and back of chest corresponding to the problematic nerve segment.
  • Compression of nerves by a cervical rib may also causes pain in  left arm and heart region . This kind type of pain is sharp, aching and generally radiated to 4th and 5th finger with sensation of numbness and tingling.
  • Prolonged work and fatigue also induces discomfort behind sternum, nothing to do with angina pectoris.
  • Pain due to an inflammation present at the junction of a rib with its cartilage on either side of upper portion of sternum, also known as Tietze's syndrome. This type of pain is continuous and increases in intensity by apply pressure over the inflamed area, there may be swelling over that region.
  • Sometimes blockage in artery of lungs, cough, spitting blood in sputum, Pulmonary embolism [when one or more pulmonary arteries in lungs become blocked] may look like a heart attack.
  • Sometimes specific abdominal conditions generate severe chest pain. Indigestion, stomach peptic ulcers, inflammation or stones in gall-bladder, pancreatitis, acute abdominal obstruction or appendicitis may stimulate chest pain just below sternum. Generally this type of pain occurs 1-4 hours after meal and relieved by taking alkalis and cold milk.
  • Inflammation of outer covering of heart pericardium or pericarditis may induce the symptoms of chest pain and fever.
  • Inflammation of pancreas also induces the symptom of chest pain, radiate towards front and back and  misunderstood as heart attack.
  • Cardiac Neurosis is a medical condition frequent in neurotic person involves excessive fatigability, palpitation, diffuse pains in different parts of body, feeling of stress , anxiety and breathlessness. This type of condition is associated with mind and does not necessarily caused by actual heart diseases.
Diagnosis of heart attack
  • Chest pain
  • Shock
  • Pulmonary oedema
  • Fast pulse, tooth pain, numbness of left or both wrists.
Signs detected by doctors
  • Chest pain
  • Restless
  • Vomiting
  • Sweating
  • Hand and feet are cold
  • Pale look
  • Shallow breath
  • Tachycardia --- heart beats faster than 100-110 beats/minute. If it is more than 150 beats/minute or less than 30 beats/minute indicates damage to the area of pulse originating region.
  • Low B.P. --- as a rule heart attack causes a fall in B.P. It may drop down as 90 of upper limit, lower than 70 means state of shock.
  • Fever --- within 24 to 48 hours of heart attack there is moderate raise in temperature may persist up to 2-6 days.
  • Stethoscope may reveal some extra sound coming from inside chest; heart sounds are normal, faint and low- pitched.
Tests to differentiate heart attack pain from other pain
  • E.C.G
  • Blood test, for W.B.C, polymorphonuclear %, E.S.R, blood enzymes
  • X-ray of chest, bones, gall bladder
  • Complete neurological examination
BY
GEETA JHA
INDIA

Wednesday, May 28, 2014

प्राणायाम- रहस्य - विज्ञान

प्राणायाम का अर्थ मात्र ब्रीदिंग exercise या व्यवस्थित रूप से साँस लेना और छोड़ना मात्र ही नहीं है, अगर ऐसा होता तो इसका नाम वायु आयाम या श्वासायाम होता.

प्राण क्या है ?

प्राण एक चैतन्य ऊर्जा है जो जड़ और चेतन दोनों में व्याप्त है. चैतन्य वस्तुओं में प्राण सक्रीय या क्रियाशील दिखाई देती है और जड़ वस्तुओं में यह निष्क्रिय या सुप्त अवस्था में दिखाई देती है. प्राण सूक्ष्मतम मूलभूत तत्व है जो सृष्टि  के समस्त बल, शक्तियों और क्रिया का आधार है.


 मनुष्य जीवित रहने के लिए प्राण शक्ति को वायु, जल, सूर्य-प्रकाश, भोजन , विचारों , गहरी नींद , संतुष्ट मनःस्थिति और परिवेश से निरंतर ग्रहण करता रहता है. प्राण तत्व वायु के oxygen में प्रचुर रूप से व्यप्त है इसलिए वायु को प्राण-वायु भी कहा जाता है. लेकिन प्राण की सत्ता वायु से भिन्न है . मृत व्यक्ति को oxygen - cylinder लगा देने से भी , उसका जीवन वापिस नहीं लाया जा सकता है.

प्राणायाम क्या है ?

प्राणायाम यानि प्राण का आयाम या विस्तार . अर्थात सर्वव्यापक प्राण को निश्चित विधि द्वारा धारण कर उसका विस्तार करना. वायु में प्राण प्रचुर मात्र में पाया जाता है जिसे हम सहज में ग्रहण कर सकते हैं. श्वास -क्रिया द्वारा विश्व में व्याप्त प्राण तत्व को पर्याप्त मात्र में खींच कर शरीर  में उसका उचित भण्डारण कर,  शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य वृद्धि करने के अलावा  अनेक अतीन्द्रिय शक्तियों का स्वामी बना जा सकता है. श्वास -प्रश्वास  की लयबद्ध , तालबद्ध और क्रमबद्ध व्यवस्थित प्रक्रिया ही प्राणायाम है.
                               
     

प्राणायाम साँस की गति को तेज़ करना नहीं वरन ताल-बद्ध और क्रम-बद्ध करना है. इस ताल- लय  और क्रम में हेर फेर के आधार पर अनेक प्रकार के प्राणायाम बने हैं , जिनके विभिन्न प्रकार के प्रयोजनों की पूर्ति के लिए विविध प्रकार के उपयोग होते हैं.  

प्राणायाम की आवश्कता

शरीर की प्रत्येक  कोशिका का जीवित रहने के लिए तीन तत्वों की परम आवश्यकता  पड़ती है---रक्त, वायु और विद्युत. इन तीनों  की पूर्ति जितनी अच्छी होगी उसी अनुपात में वह कोशिका सजीव, स्वस्थ और सुदृढ़ होगी. इन तीनो में एक की भी कमी से वह कोशिका दुर्बल, निस्तेज और रुग्ण हो जाएगी. अतः स्वस्थ रहने के लिए निरंतर  रूप से इन तीनों  तत्वों की सप्लाई होती रहनी आवश्यक है .

प्राणायाम-शुद्ध वायु

सामान्यता हम उथली, आधी-अधूरी और अस्त-व्यस्त तरीके से साँस लेते हैं इससे हमारे फेफड़े का  केवल 1/6 भाग ही प्रभावित हो पता है शेष भाग निष्क्रिय अवस्था में पड़ा रहता है. फेफड़ों द्वारा प्राचुर मात्र में वायु ग्रहण न करने के कारण अधिकांश एयर-सेल्स में oxygen परिवर्तन की प्रक्रिया नहीं हो पाती है. अल्प oxygen , रक्त के संचरण से दूषित कार्बनिक एसिड  शरीर को बाहर नहीं निकल पता है , यह दूषित विकार रक्त के साथ पुनः ह्रदय से फेफड़ों में भेज दिया जाता है वहां फिर उसे पर्याप्त  वायु न मिलाने से वही अशुद्ध रक्त पुनः धमनियों से पूरे शरीर में फ़ैल जाता है . इस प्रकार बीमारी, रोग और दुर्बलता का एक कुचक्र बन जाता है और अंतत व्यक्ति विशेष को अपने स्वाथ्य से वंचित हो जाना पड़ता है.



स्वास्थ्य रक्षा  हेतु रक्त का शुद्ध और सशक्त रहना आवश्यक है. रक्त के शुद्ध रहने का मुख्य आधार oxygen है. शुद्ध  रक्त का 1/4 भाग oxygen होता है. रक्त और oxygen मिल कर ही oxy -hemoglobin बनाते हैं जिसकी प्रचुरता टूटे-फूटे कोशिकाओं और दूषित और विषेले  तत्वों को बाहर निकल कर शरीर  को स्वाथ्य, उत्साह और सक्रियता प्रदान करना होता है.

प्राणायाम - जीव विद्युत

हमारे शरीर में लगभग 72,000 अति सूक्ष्म नाड़ियाँ हैं. यह नाड़ियाँ मस्तिष्क या रीढ़ की हड्डी से निकल कर बिजली की तारों की भांति समस्त शरीर में फ़ैल जाती है. शारीरिक संस्थान में गड़बड़ी होने   से  रक्त संचार में बाधा पहुंचती है. शरीर के विभिन्न अंगों को समुचित मात्र में रक्त न मिलाने के कारण विजातीय या विषेले  तत्वों का निष्काशन नहीं हो पता है. इससे शरीर में विषाक्तता बढती है विभिन्न रोगों का आक्रमण होता हैं और मानव दुर्बल और रुग्ण हो जाता है.

ऑटोनोमस  नर्वस सिस्टम या स्वयं संचालित श्वास - प्रश्वास   क्रिया वेगस नर्व द्वारा गतिशील होती है. दायें -बाएं नासिका स्वरों के चलने से इडा-पिंगला नाड़ियों में लयबद्ध घर्षण होता है जिससे जीव -विद्युत का उत्पादन होता है और वेगस नर्व प्रभावित होती है.

वेगस नर्व का सीधा सम्बन्ध अचेतन मस्तिष्क से होता है जो शरीर में हार्मोन, नर्वस सिस्टम, माँस -पेशियों के अन्कुचन- प्रंकुचन  , विभिन्न ग्लैंड्स , कोशिकाओं और अवयवों के कार्य-पद्धतियों को निश्चित रूप से प्रभावित करता है.

प्राणायाम करने से नाड़ियों का शोधन होता है. जिससे शारीरिक और मानसिक परिशोधन होता है.

प्राणायाम - स्टेम सेल्स

स्टेम सेल्स मूलभूत कोशिकाएं होती हैं जो हमारे शरीर में 200 प्रकार की कोशिकयों का निर्माण करते हैं, यही आगे जा कर शरीर के अलग-अलग अंगों की बनावट और कार्य-प्रणाली के लिए उत्तरदायी होते हैं.



जो स्टेम सेल्स 9 महीने में पूरे एक शरीर का निर्माण करने में सक्षम हैं , प्राणायाम के द्वारा हमारे ब़ोन - मैरो  , मस्तिष्क , रीढ़, त्वचा, pancreas और रक्त नलिकाओं में प्रचुरता की मात्र में स्थित स्टेम सेल्स हमारे शरीर में बिना चीड़-फाड़ के उस जगह जा कर प्रत्यारोपित हो जाते हैं जहाँ इनकी जरुरत होती है. 
  
इस प्रकार वे वहां के रोगी कोशिका ,अवयव और अंग की मरम्मत कर उसे नवजीवन प्रदान करतें हैं. अतः प्राणायाम द्वारा हमारे शरीर के आधारभूत स्टेम सेल्स अपनी संख्या बढा कर, स्ट्रोंग होकर और oxygen से युक्त होकर क्षतिग्रस्त अंग या कोशिका को दुरुस्त करते हैं  और हमें नवजीवन और स्वास्थ्य प्रदान करते हैं.

प्राणायाम के लाभ

शारीरक

शरीर विज्ञान में मानव शरीर के अन्दर काम  करने वाली भिन्न-भिन्न प्रणालियाँ हैं. इनमें प्रमुख हैं- तंत्रिका तंत्र, ग्रंथि तंत्र, श्वास  तंत्र, रक्त परिसंचरण तंत्र  एवं पाचन तंत्र . इन सभी पर प्राणायाम का गहरा प्रभाव पड़ता है.

प्राणायाम से देह के विभिन्न हिस्सों और अवयवों पर दबाव पड़ता है. इस दबाव से उस क्षेत्र का रक्तसंचार बढ  जाता है. रक्त के दौरे सुव्यव्स्तित ही जाने से उस अंग के स्वस्थता प्रभावित होती है.

मानसिक

प्राणायाम द्वारा हमारे स्नायु - मंडल, ज्ञान तंतु और मस्तिष्क पर पूर्ण  प्रभाव पड़ता है. हमरी चेतना और बुद्धि विकसित होने लग जाती है, बुद्धि की ग्राह्यता बढ जाती है. अति सूक्ष्म विषयों को समझने की शक्ति आ जाती है.

 clairvoyance [अतीन्द्रिय ज्ञान ], telepathy [ विचार सम्प्रेषण ] , extra sensory perception [अतीन्द्रिय क्षमता] , pre- recognition [ पूर्वाभास], psychokinesis [ जड़ और चेतन को प्रभावित करना], पुनर्जनम,अध्यात्म रहस्यवाद की परतों को समझाने की क्षमता विकसित होने लग जाती है.

अध्यात्मिक

यथोचित शारीरक और मानसिक सुधार आने से आध्यत्मिक उत्थान आरंभ हो जाता है. रजोगुण और तमोगुण का नाश होता है, सतोगुण का अविर्भाव होता है.

मस्तिष्क की कल्पना, धारणा, इच्छा , निर्णय, नियंत्रण, स्मृति, प्रज्ञा आदि  शक्तियों का उत्पादन, विकास और परिमार्गन होता है. प्राणायाम के नियमित  अभ्यास से कई प्रकार की रिद्धियों-सिद्धियों की प्राप्ति सहित कुण्डलिनी-शक्ति का जागरण भी संभव हो पाता है. 

20 मिनट प्रतिदिन प्राणायाम करने से मात्र 3 महीनों में हमारा औरा [Aura] जो साधारणतया  2 से 8 इंच तक फैला होता हैं वह 6 फीट तक विस्तार पा लेता है. प्राणायाम एक हानिरहित योगाभ्यास है. शारीरिक , मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य और  विकास के लिए हमें नियमित प्राणायाम करना चाहिए.

 द्वारा 

गीता  झा  

Sunday, May 25, 2014

पानी !!!

एक वयस्क व्यक्ति के शरीर में औसतन 35 से 40 लीटर पानी हमेशा बना रहता है। एक वयस्क पुरुष के शरीर में पानी उसके शरीर के कुल भार का लगभग 65 प्रतिशत और एक वयस्क स्त्री शरीर में उसके शरीर के कुल भार का लगभग 52 प्रतिशत तक होता है।

हमारी हड्डियाँ, जो देखने में ठोस और कड़ी मालूम होती हैं, में 22 प्रतिशत पानी होता है। हमारे दाँतों में 10 % प्रतिशत, त्वचा में 20 %, मस्तिष्क में 75 %, मांसपेशियों में 75% , और खून में 83  % पानी होता है। 

 

जिस प्रकार नहाने से शरीर के बाहर की सफाई होती है, ठीक उसी प्रकार पानी पीने से शरीर के अंदर की सफाई होती है। 

खून में पानी की मात्रा कम होने से मस्तिष्क के जल आपूर्ति सूचना केन्द्र हाइपोथैलेमस में संकेत पहुँचते हैं और हमें प्यास लग जाती है।
  
बहुत से रोगों में पानी दवा का काम करती है । ठन्डे और गरम पानी में अलग अलग औषधि गुण होते हैं । कई रोगों में ठंडा और कई रोगों में गरम पानी दवा का काम करती है ।

पानी का उपयोग

1) प्रतिदिन 5 गिलास पानी पिने से पेट के कैंसर का खतरा 4 5 % कम हो जाता है । इसके साथ स्तन कैंसर न होने की गारेंटी भी 7 9 % बढ़ जाती है । ब्लड कैंसर होने की सम्भावना भी 5 0 % कम हो जाती है । 
2) रात में एक गिलास पानी पीने से आधी रात में लगने वाली भूख का अहसास ख़त्म हो जाता है । 
3) अनुसन्धान बताते हैं की पीठ और जोड़ों के दर्द से ग्रस्त लोगों ने 8 -1 0 गिलास रोज़ पानी पिया तो उनमें से 8 0 % लोगों ने अपने कष्ट  में आराम पाया । 
4) भोजन करने  के बाद एक कप गर्म पानी पीने से न केवल भोजन ही अच्छी तरह से पचता है वरन वजन भी कम होता है । 
5) महीने में प्रति किलो शरीर का वजन कम करने के लिए प्रति दिन उतने ही लीटर पानी पानी चाहिए । लेकिन यह 3 -4 लीटर प्रतिदिन से अधिक नहीं होनी चाहिए । मलेरिया में जब ठंड लगती है, तब गुनगुना पानी पीना लाभदायक होता है। 
6) बुखार के रोगी का पसीना निकालने हेतु भी गरम पानी देना चाहिए। 
7) अम्लता के रोगी को व गठिया के रोगी को भी गुनगुना पानी पीना चाहिए। पेट दर्द में गरम पानी लाभ करता है, लेकिन इसे चुस्की लेकर पीना चाहिए। 
8) अजीर्ण रोग, वात रोग तथा कामला रोग में पानी औषधि का काम करता है, कामला में 5-6 लीटर पानी पीने का प्रयास करना चाहिए। 
9) जुकाम होने पर नीबू डालकर पानी पीने से लाभ होता है। पथरी रोग में पर्याप्त पानी पीने से यकृत साफ रहता है, पित्त तरल होता है व पथरी गलकर निकल जाती है। 
10) कभी भी कोई अंग आग से जलने या झुलसने पर तुरंत उस अंग को ठन्डे पानी में डूबा कर रख दें, इससे जलन तो दूर होगी ही घाव पर फफोले भी नही पड़ेंगें । 
11) अगर कभी मोच आ जाये या चोट लग जाए तो उस स्थान पर खूब ठन्डे पानी की पट्टी लगा दें , बर्फ भी लगा सकते हैं । इससे न तो सुजन होगी और न ही दर्द बढेगा । यदि चोट लगने या कटने से खून आ जाये तो वहां बर्फ या खूब ठन्डे पानी की पट्टी लगा दें तो आराम मिलेगा । 
12) इंजेक्शन लगा देने से यदि उस स्थान पर सुजन आ जाये या दर्द बढे तो ठन्डे पानी की पट्टी या बर्फ का लगायें । 
13) यदि रात में नींद न आ रही हो तो दोनों पैरों को सहन करने योग्य गुनगुने पानी में घुटने तक पंद्रह मिनट डूबा कर रखें , फिर पैरों को बाहर निकाल कर पोंछ लें तो शीघ्र नींद आ जाएगी । 
14) Diarrhea में पानी की कमी को पूरा करने  के लिए जीवन रक्षक घोल जरुर पिये । 
15) बोतल से सीधा मुंह लगाकर पानी न पिए इससे बहुत सी हवा भी पानी के साथ पेट में चली जाती है , और पेट फूल जाता है । । पानी सदेव गिलास में डाल कर , घूंट ले ले कर पियें एक सांस में इकठ्ठा न पिए । 

आज दुनिया भर की लगभग आधी आबादी डी - हाइड्रेटेड है । यह बताता है की हम पानी पीने में कितनी लापरवाही बरतते हैं । अमेरिका में हुए सर्वेक्षण से यह पता चला है की अमेरिका में लगभग 7 5 % लोगों का शरीर पानी की कमी का शिकार बन चूका है । और 3 7 % अमेरिकियों में प्यास तंत्र इतना कमज़ोर हो चूका है की पानी की प्यास को को भोजन की कमी समझा जाता है ।

मुख्य अनुसंधानकर्ता लारेंस आर्मस्ट्रांग ने कहा हमें प्यास की जरूरत तब तक नहीं महसूस होती जब तक कि शरीर में पानी की कमी एक या दो प्रतिशत नहीं हो। तब तक निर्जलीकरण की स्थिति संभलती है तब तक हमारे दिमाग और शरीर पर असर पड़ना शुरू हो जाता है।

विज्ञान  का कहना है की यदि आपके शरीर में पानी का स्तर में मात्र 2 % की गिरावट हो जाए तो बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है जैसे ... 

1) शोर्ट टर्म मेमोरी लोस या कमज़ोर याददाश्त । 
2) सरल गणित करने में कठिनाई । 
3) ध्यान केन्द्रित करने में कठिनाई । 
4) जल्दी थकान का अनुभव होना । 
5) ज़रा सा भी डी -हाइड्रेशन होने पर मेटाबोलिज्म रेट का 3 % कम होना ।  

अधिक लाभ के लिए कब पानी पिए ? 

1) सुबह उठकर 2 गिलास पानी पीने से आन्तरिक अवयवों की सफाई होती है और वे सुचारू रूप से कार्य करते हैं । 
2) भोजन करने से आधे घन्टे पहले 1 गिलास पानी पीने से भोजन अच्छी तरह से पचता है । 
3) नहाने से पहले 1 गिलास पानी पीने से बड़ा हुआ ब्लड प्रेशर कम होता है ।  
4) सोने से पहले 1 गिलास पानी पीने से स्ट्रोक और हार्ट अटैक की संभवना कम हो जाती है । 
5) भोजन करते समय या एक दम बाद ठंडा या सामान्य पानी पीने पेट दर्द , गैस और खट्टी डकार की समस्या उत्पन्न हो सकती है । भोजन करते समय पानी न पिए इससे भोजन आसानी से नहीं पचता है |                                                                                                  


विशेष नोट

अति किसी भी चीज़ की हानि ही करती है आवश्कता से अधिक पानी पीना  भी  स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक  हो सकता है | इससे किडनी के ऊपर अतिरिक्त कार्य करने के लिए दबाब बनता है और उसमें खराबी आ सकती है , शरीर में उपस्थित electrolytes   खास कर सोडियम की मात्रा  में काफी कमी  हो सकती है , जिसके कारण  मस्तिष्क की कोशिकाओं के साथ शरीर की अन्य कोशिकाओं में  सूजन  आ सकती है  जिसके चलते खून का अत्यन्त  पतला होना , सर दर्द, उल्टी , बेहोश होना , दौरे पड़ना , पैरों का फूलना  [Leg edema ] ,  ब्लड प्रेशर का  बड़ना  आदि होने की सम्भावना हो सकती है ।  लगातार फ़िल्टर पानी पीने  से शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है , पानी को साफ़ करने  के लिए इस्तमाल किये गए disinfection  chemicals  शरीर के ऊपर दुष्प्रभाव डालते हैं ।



अतः पानी जितनी जरूरत हो उतना ही पीये , स्वच्छ पानी पिये  , प्यास लगने पर पानी  जरुर पीये  , एक घंटे में कभी चार गिलास [ 1  लीटर ]  से अधिक पानी न पिये   और पानी हमेशा घूंट घूंट करके या सिप करके पिये  ।

द्वारा 

गीता झा 

                 Nice clean moving animated rendition of Horseshoe Falls at Niagara Falls Canada


Thursday, May 22, 2014

Denial of Marriage in Astrology

Around the world the marriage plays a vital role in every society. Generally, everybody thinks how, when and where the marriage take place. Unlike other important factors of human existence, marriage is an indispensable issue. But in some cases the individuals live without marriage at all.
          
Factors responsible for denial of marriage
· The planet Venus, which is the significator of marriage for males
· The Jupiter which is the significator of marriage for females
· The 7th, 2nd, 4th, 5th, and the 8thlords are responsible for married life.
· The placement of other planets and the aspects of the planets to the above houses are to be studied
· Denial of marriage is possible where there is strong malefic influence to the 7th house, 7th lord, Venus, Jupiter, 2nd house, and 2nd lord
Different combinations for denial of marriage

    · If the 7th lord/planets present in 7th house are infant/old age/debilitated/combust/afflicted/weak/in inimical sign
    · The lord of 7th house is situated in 6th, 8th or 12th house [inauspicious houses] or in inimical sign without the association of any benefice planet
    · The lords of 6th, 8th and 12th houses are in the 7th house
    · The lord of 7th house is also the lord of 6th, 8th and 12th house
    · Venus combines with Saturn and Mars and situated in 7th house from Moon.
    · If the ascendant and 7th lord combines in an inauspicious house the native will not marry at all
    · Saturn in Scorpio and Moon aspects it, no marriage
    · In male horoscope Moon/Venus occupies Capricorn and Saturn aspect it from an inauspicious house, denotes no marriage
    · In the case of female horoscope, Sun/Jupiter occupies Capricorn and the Saturn aspect from an inauspicious house denies married life.
    · A very practical combination has been watched over a pretty long time for extremely delayed and denied of marriage is - if Moon-Mars-Ketu [dragon tail] are in a line in a horoscope without having any planets between them
    · Two malefic planets in 7th and 12th house and Moon occupies the 5th house
    · Venus and Mars combines in 5th/7th/9th houses
    Case study of the horoscopes 
    1. Mamata Banerjee Horoscope              

    Mars+Moon+Ketu in a line = indicates denial of marriage
    Jayalalitha 
                       
     
    Mars+Moon+Ketu in a line = indicates no marriage 

    BY
    GEETA JHA 
     INDIA