जगह-जगह अक्सर यह पढ़ने को तो मिल जाता है ''दहेज लेना या देना अपराध है'' परंतु यह पंक्ति केवल विज्ञापनों तक ही सीमित है, आज भी हमारे चरित्र में नहीं उतरी है ।दहेज़ के ऊपर प्रस्तुत मोनो-एक्टिंग स्किट मैंने पांच साल की उम्र में स्कूल में की थी । इस मोनो -एक्टिंग में सभी सात किरदारों के संवाद मैंने ही बोले थे । उस उम्र में दहेज का अर्थ तो नहीं मालूम था हाँ स्टेज पर चीफ गेस्ट ने जब कंधे थपथपा कर इनाम दिया तो लगा कि कुछ अच्छा ही बोला होगा । मैं अपने मामा जी का धन्यवाद करती हूँ , जिन्होंने मेरी आवाज़ को उस समय रिकॉर्ड किया था ।
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