Thursday, July 4, 2013

ब्लेंक कॉल्स








फ़ोन की घंटीबजी थी हेलो !!!! ” हमने  जिज्ञासासे कहा  था! तब आपने कहाकी "आपके पापाघर पर हैं  ! मुझे उनसेबात करनी है" हमने   कहा " पापा तोऑफिस में हैं! आप कौन बोलरहे हैं ? " तबआपने शायद झेंपते हुएकहा था की" मैं RKK बोल रहाहूँ , आपके पापामुझे जानते हैं| आप गीता बोलरहीं है ? '' आपके पक्के बिहारी टोनकी थाह लेतेहुए मन हीमन RKK का फुलफॉर्म  समझेहुए अनजाने मेंहमने  भीचुटकी  लीऔर बनावटी हैरानीसे पूछा " आपमेरा नाम कैसेजानते हैं ? "

तब आपने भीबिंदास हँसते हुए कहाथा की " जबआप हमसे मिलेंगीतो समझ जायेंगीं"

हाँ तो मिस्टरRKK इस वार्तालाप से दोदिन पहले हीहमारे पापा आपकेपास JNU में आपसेहमारे रिश्ते कीबात करने गएथे औरआपके पूर्ण समर्पितबिहारी टोन औरअंदाज़ से हमपहले ही समझगए  थेकी फ़ोन कीघंटी आपने हीखड्काई है

मालूम आपहमसे कितने सालसीनियर थे ..............इसका उससमय हमारे लिएकोई अर्थ नहींथा क्योकि अधिकतरअरेंज्ड शादियों में उम्रका फासला अधिकही  होजाता है | जबहमारे पापा आपकेपास गए थेतो आप लाइफसाइंस में 5- 6 वर्षोंसे लगातार मैराथनPhd कर रखे थे

लेकिन उसी सालआपका सिविल सर्विसमें इंडियन रेवेनुसर्विसेज [ IRS ] कस्टम में सिलेक्शन होनाकाफी था कीसंपूर्ण  मैथिलबिहारी समाज केकुंवारी लड़कियों के पिताअपनी बेटियों केउद्धार के लिएआपके दरवाजे परअपनी-अपनी  दरखास्त लेकर आये शायद उससमय आपके दरवाजेपर लगी लाइनमें आपका रेट2 0 लाख चल रहाथा , और ताजुब्बहै उस समय उसे  देने वालों की भीकोई कमी नहींथी

हाँ तो हमनेकहा की आपकीयश कीर्ति सुनकर हमारे ईमानदारपिता भी उसीलाइन में अपनीबेटी की किस्मतअजमाने  केलिए लग गयेथे

ईमानदार पिता कीलाडली बेटी औरवह भी सांवले रंगकी .........यह दोबातें ही काफीथी की हमारीप्रस्थिति ब्राह्मण समाज मेंकाफी सोचनीय करने केलिए |  फिरभी हमारे  पापा कीदाद देनी होगीजो आप जैसेमॉडल सरीखे औरहाई प्रोफाइल लड़केको अपना भावीदामाद बनाने कासपना भी देखसके शायदहर लड़की केपिता की दिलीख्वाईश होती हैकी उनकी लड़कीहमेशा उससे बेहतरलड़के से विवाहीजाए

पहली नज़र मेंही पापा आपसेइम्प्रेस हो गएथे , उन्होंने हमारीब्लैक एंड वाइटफोटो आपको दिखाईथी , ब्लैक एंडवाइट फोटो  देख  कर ही आपसमझ गए थेकी हमारा  रंग खांटीसांवला है  ....लेकिनआपने भी शालीनतासे कहा था ....... अंकल जी !!  आजकल तो कलरफोटो दिखाई जातीहै और आपब्लैक एंड वाइटफोटो लेकर आयेहैं ? ”

पापा हमारे गहरे रंगके चलते पहलीबार में हीरिजेक्ट नहीं होनाचाहते थे आपने हमारी वहवाली फोटो औरबायोडाटा रख लियाथा और हमारेपापा को कोकह दिया कीआप इस रिश्तेपर विचार करअपने परिवार वालोंसे बात करेंगें यह टरकानेका एक सभ्य तरीकाथा फिरआपने हमारे  लिए भीसिविल सर्विस कीतैयारी का एकनुक्सा भी बतादिया की .............हमेंतोते की तरहरटने और मुहजबानी याद करनेकी जगह तीनचार लोगों केसाथ बैठ करउनसे सहयोग लेतेहुए लिख लिखकर सभी विषयोंका अभ्यास करनाचाहिए और न्यूज़पेपर तो बिनानागा किये रोज़पढना चाहिए |

घर पर कर पापा नेकहा की आपदूरदर्शन के किसीसीरियल में आतेथे  और एकआध टेलीफिल्म भीकर चुके थे |  आपकीओमनी डायरेक्शनल क्षमताओंके हम कायलहो चुके थे फिर दोदिनों के बादआपका फ़ोन आया हम तोपहली बार मेंही आपकी आवाज़से आपको पहचानगए थे , लेकिनअनजान बनाने कीएक्टिंग करनी जरुरीहो गई थीआखिर एक सुसंस्कृतघर की बेटीजो  थे|  एकबार जो ब्लेंककॉल्स  आनेका सिलसिला चला तो जाने कबतक चलता रहा...और हम भीकसम खा करबैठे थे हीहम आपको पहचानेगें नहीं.

इन ब्लेंक कॉल्सके के चक्करमें कितना समयऔर कितनी घटनाएंबीत गई सबकुछ बदलता चला जारहा था | नहींबदला तो आपकारोज़ 4-5  बारब्लेंक कॉल करना और  हमारासभ्यता और शालीनतासे पुनः पुनःधीरे से  हेलो  बोलना ” ........फिरदोनों और सन्नटा | कभीआप फ़ोन डिसकनेक्टकरते थे और  कभीहम  |

जब दूसरी बारपापा आपके होस्टलगए थे थोआप शायद कहींबाहर गए हुएथे | आपके रूममेट ने कहाकी आप दोबार हमें  कहीं देखचुके हैं ! शायदकॉलेज में ? लेकिनआपके दोस्त नेवही  महानकाम किया जोअमिताभ बच्चन ने शोलेफिल्म में अपने दोस्तवीरू के लिएकिया था उसकीशादी की बातकरते समय  , आपके दोस्तने कहा कीयकीनन आप एकअच्छे इंसान हैंलेकिन आपका अफेयरआपके साथ पढ़नेवाली एक लड़कीके साथ चलरहा है जोएक सिन्धी हैऔर  शायददीपा नाम बतायाथा उसका  |

जो उस समय Phd करने जर्मनी गई हुई थी | फिर क्या था हम माज़रा समझ गए की आपने कुछ टाइम के लिए उसकी अनुपस्थि में हमें अपना टाइमपास बनाया हुआ था  | और फिर हमारी उन  पंजाबी सहेलियों ने हमारी अच्छी खबर ली जिनके दिल बेदर्द बिहारी लड़कों ने तोड़े हुए थे …….....सबने एक सुर में कहा .....खबरदार गीता  !!! जो कभी इस लड़के से शादी के बारे में सोचा भी तो | जो तेरे लिए अपनी गर्लफ्रेंड को छोड़ सकता है वह कल किसी तीसरी के लिए तुझे भी छोड़ देगा  | हम उन सबके जले भुने फूंके दिलों के   प्रैक्टिकल तर्कों के आगे नतमस्तक थे |

लेकिन आपका भीजबाब नही थाजो एक बिहारनऔर एक सिंधनके बीच पिसनेको को पूरीतरह से तैयारथे आपकेब्लेंक कॉल्स की आदतपड़ चुकी थी | धीरेधीरे आपका स्वाभावपता चलता गया| जब कभी आपबूथ से कॉल करतेथे तो हमेशाचुप्पी रहती थीक्योकि आप एकरूपए का सिक्काडाले बिना ..... हेलो......तो सुन हीसकते थे और कभी आपअपने परिचित याऔर जगह सेफ़ोन करते थेतो हमेशा एकही सवाल पूछतेथे ......ईस्ट वेस्टएयरलाइन ? ? ? और हमाराहमेशा एक हीएकनिष्ट और समर्पितजवाब होता था......सॉरी रॉंग नंबर!!!

मज़े की बाततो यह हैकी हजारों बारहमने आपके ईस्ट-वेस्ट एयरलाइन पर ..........सॉरीरॉंग नंबर बोलाहोगा  | लेकिनकसम खाई थीकी आपको कभी पहचानेगेंनही .......चाहे एकयुग ही क्यों बीत जाये!!

JNU के आपके दोस्तोंसे बाद मेंपता चला कीआपने IRS की जॉबज्वाइन ही नहीकी | एक बारआपका एडिटोरियल कॉलम में nuclear  रिएक्टरके ऊपर लिखाएक आर्टिकल पढ़ाथा  | शायद आपनेTOI में एडिटर की नौकरीकर ली थी |

लेकिन आपने कभीभी किसी अभद्रया असभ्य लहजे याभाषा का प्रयोगनही किया था |कालर ID लगवाना  बेकार थाक्योकि केवल हमही जानते थेकी सारे ब्लेंककाल्स आप हीखड्काते थे |

हाँ घर केदुसरे लोग कभीकभी इरिटेट  जरुर होजाते थे | लेकिनहमने भी एक सुसंस्कृत टाइमपासका किरदार बखूबीनिभाया था | आपहमसे बहुत सीनियरथे , टैलेंटेड थे, आपके सभी खूबियोंकी हम कद्रकरते थे ...हमनेकभी भी आपकोकडवे और झल्लानेवाले लहजे में जबाबनहीं दिया था | एकअनदेखा अनजान इंसान कोसमझना शुरू करदिया था | हमेंपता था कीआपका टैलेंट आपकोकभी भी एकदायरे  मेंबंधने नहीं देगा |

हमने हमेशा आपकी इज्जतही की थी.....लेकिन एक दिलीख्वाइश रह गईकी ....यदि आपकोपहचान कर बातकरते तो शरारतमें आपको ...देवघरका पंडा जरुरकहते ......

हमारी  नजरमें आप दीपाकी अमानत थे,  औरहम अपने संस्कारोंसे बंधे हुएथे |

शायद हमारी शादी कीखबर आपको लगगई थी |  शादी केपांच दिन पहलेआपका फोन आयाहमेशा हज़ारों बारकी तरह हमनेफिर ...... हेलो !! " कहा  ...इस आखिरी ब्लेंक कॉल में यह जानने की जिज्ञासा हुई की आपका यह अंतिम फ़ोन किसी बूथ से खड़क रहा है की किसी और जगह से , इसकी थाह लेने के लिए हमने .....फिरपहली बार कहा ......... "आपको किससेबात करनी है? ” तब आपने धीरेसे कहा थाकी ..... “बात तो हमेंआपसे ही करनीहै ” .....फिर वहीख़ामोशी ......और हमनेफ़ोन डिसकनेक्ट करदिया था ...यहीहमारी आखिरी बातथी |और आखिरी ब्लेंक  कॉल भी |

अभी दो सालपहले हमारी एकसहेली ने आपकाजिक्र किया |  मोबाइल के इसजमाने  मेंलैंडलाइन फ़ोन की  ब्लेंककॉल्स की यादोंसे एक मुस्कानहमारे चहरे परखिल गई ........ एकअनदेखे ......अनजाने  कोदेखने की बालसुलभलालसा हुई , जिसे हमहज़ार बार एकही आवाज़ परहेलो   ”और  रॉंगनंबर ” बोल चुकेथे ........ 

और हमने गूगलसर्च पर आपकानाम टाइप किया.......

फिर पहली बारआपकी फोटो देखी ....आपकेगोगल्स वाली हीरोटाइप टिपिकल बिहारीस्टाइल की सभीफोटो  देखकर बहुत हंसीआई ....और करियरतो आपका जलेबीकी तरह होगाही तरह यहतो हम शुरूसे जानते थे....TOI  केबाद आपने USA जाकरअपनी एक सॉफ्टवेयर कंपनी खोलीथी जिसकी दूसरीकंट्री में भीब्रांचे थी , औरसाथ ही साथआपने एक फिल्मप्रोडक्शन हाउस भीखोला हुआ है जिसमेंआप इंडिया कर फिल्में बनातेहैं ....... यानी आपने अपनेएकेडेमिक क्वालिफिकेशन और हॉबीका पूरा बैंडबजाया हुआ है 

दीपा तो पतानही आपके जीवनमें है यानही है लेकिनआपके व्यक्तित्व कायूनिक पना जरुरअभी तक कायमहै

चलो हम दोनोंने पढ़ा कुछऔर , किया कुछऔर अंत मेंबने कुछ और....लेकिन एक चीज़याददास्त में दोनोंकी  कॉम्मनहै ..........वे हज़ारब्लेंक कॉल्स !!!

द्वारा

गीता झा 

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