अजन्मी बेटी का अपनी माँ के नाम खत
मेरी प्यारी माँ ,
मैं बिलकुल ठीक हूँ , भगवान सेदुआ करती हूँ की तुम भी ठीक होंगी। माँ आज तुम पापा के साथ क्लिनिक गई थीं , वहां जोमैंने सुना मुझे तो अपने कानों के ऊपर यकीन ही नहीं आया। पापा के साथ जिन प्रेम के क्षणों में तुमने मुझे पाया , अब इसक्षण यह पता लगते ही की मैं एक कन्या हूँ तुम मुझसे छुटकारा पाना चाहती हैं।
मुझे तो अभी तक यकीन नहीं हो रहा हैं, मेरी माँजो गार्डन भी घूमने जाती है तो चीटियों की बाम्बियाँ को देख कर अपना रास्ता बदल लेती है, कि कहींचीटियाँ पैरों के नीचे न आ जाये | ऐसीकोमल ह्रदय वाली मेरी माँ क्या मेरी हत्या कर सकती हैं? बस एकबार माँ तू तसल्ली दे दे की जो मैंने सुना वह सब गलत था तो में सकून से रह सकूंगी क्योकि अभी मेरा दिल बैचैन और दहला हुआ है, और मेरीरूह काँपी हुई हैं।
डॉक्टर ने आपको तीन दिन बाद बुलाया हैं। माँ मेरी प्यारी माँ तू जानती हैं एक कठोर दिल वाला भी अपने शरण में आये प्राणी की रक्षा करता हैं, फिर माँमैं तो पूरी तरह से तेरी शरण में हूँ, तेरे अस्तित्व से ही मेरा अस्तित्व हैं, तेरे जीवनसे मेरे जीवन की डोर बंधी हुई हैं। मैं अशक्त, असहाय , निरीह तेरेही ऊपर आश्रित हूँ। माँ मेरा शरीर इतना छोटा और कमजोर हैं की हाथ उठा कर तेरी उंगली पकड़ कर तुझे क्लिनिक जाने से भी नहीं रोक सकती, माँ मुझमें इतना दम भी नहीं हैं की तुझ से लिपट सकूँ और तुझे रोकूँ।
और अभी तो मेरी आवाज़ भी नही निकलती, की कहूँमाँ तू वहां मत जा, लेकिन माँ, माँ तो बिना कहे अपने बच्चों की आवाज़ सुन लेती है, तू क्योंनहीं सुनती माँ ?
जानती हैं माँ मुझे मारने के लिए तू जो दवाइयाँ लेगी उससे मुझे कितनी तकलीफ होगी , मेरा कोमल शरीर उस पीढा को कैसे झेलेगा माँ ? अभी कुछदिन पहले तेरे हाथ में सब्जी काटते समय चाकू लग गया था ,तुझे कितनीतकलीफ हुई थी ? माँ वोदवाइयाँ बहुत बेरहमी से मुझे तिल-तिल कर मरेंगी तू देख सकेगी मेरा दर्द और में तेरे शरीर से ऐसे फिसल जाउंगी जैसे बंद मुट्ठी से रेत फिसल जाती है।
तू नहीं जानती माँ अगर तू क्लिनिक में मेरी हत्या करेगी ,तू तोबेहोश रहेगी माँ !उस देहसत भरे दृश्य को कसे देख पायेगी? कैसे वह धारदार औजार तेरी मासूम बेटी के टुकड़े-टुकड़े कर देगा, में अपने आप को बचाने के लिए दर्द और असीम पीढ़ा से छट - पटाती हुई घूम- घूम कर उस पापी औजार से बचने की कोशिश करूंगी माँ |जानती है उस समय मरे दिल की धड़कन 200 हो जाएगी , और जीवन की अंतिम लड़ाई लड़ते हुए मेरा मुंह वेदना से खुल जाएगा और एक कभी नसुनाई देने वाली चीख मेरे मुंह से निकल जाएगी |
मेरा शरीर गाजर-मुली के जैस काट दिया जाएगा , में अपनेको बचने के लिए कितना तडपूंगी लेकिन जब तू ही मेरी नहीं तो इस संसार में कौन मेरा अपना है? देख सकेगीमेरा क्षत- विक्षत, टुकड़ों-टुकड़ों में बंटा शरीर, अपने दिलकी कली की यह हाल देख कर जी लेगी क्या ?
होश में आने के दो घंटों बाद तू भी घर आ जाएगी, मुझे वहीँतन्हा , जर्द-जर्द, टुकड़ों - टुकड़ों ,हिस्सों- हिस्सों में बंटा छोड़ का।
माँ आज मैं यह चिठ्ठी तुझे लिख रही हूँ ,की शायदतेरा दिल बदल जाये और तू अपना इरादा बदल दे। माँ अभी तो मुझे कुछ दिखाई नहीं देता है लेकिन मेंयह दुनिया देखना चाहती हूँ । चाँद,सूरज,आसमान ,तारे,पक्षीऔर उन सभी फूलों को देखना चाहती हूँजो उस गार्डन में खिलतें हैं जहाँ तू रोज़ घुमने जाती हैं ।
माँ जब में तेरे आंगन में घुटने के बल चलूंगी तो तेरी पेशानी की सारी दर्द की लकीरें धुल जाएँगी।
माँ मेरे खर्चे की चिंता मत करना | मैं बड़ी चाची की छोटी बेटी के उतारे हुए कपडे पहन लुंगी| चांदी महंगी हैं माँ , तू मेरे लिए पायल मत लेना बस मेरे छोटे-छोटे पैरों में काले डोरे बांध देना और मेरे माथे पर अपनी काजल की डिब्बी से एक टीका लग देना, देखना इसीमें मैं कितनी सुन्दर लगूंगी |तेरी बेटीहूँ ना तेरी छाया , देखना तेरेजैसे अपने बाएँ गाल पर तिल लेकर पैदा हुंगी , तेरा वालाब्यूटी मार्क।
मैं जानतीहूँ माँ तुझे अदरक वाली चाय पसंद है और पापा को हर्बल टी , माँ मैं सब खाना पकाना बहुत जल्दी सीख जाउंगी | जबपापा को सर दर्द होगा तो अपने छोटे-छोटे हाथों से उनका सर भी दबा दूंगी और माँ तेरे सर में तेल की मालिश भी कर दूंगी।
बस माँ तू थोडा होंसला रख, मुझे इसदुनिया में आने दे |
मेरी पढाई- लिखाई कीतू चिंता मत करना | तेरी हीबेटी हूँ , देखना कितनीबुद्दिमान निकलती हूँ मैं । और मेरे दहेज़ की तो तू बिलकुल चिंता मत करना , मैं अपने परों पर खड़ी हूंगी न और तू देखना एकसुन्दर पढ़ा लिखा राजकुमार तेरी बेटी को विवाह कर ले जायेगा, माँ अभीभी दुनिया में बहुत अच्छे लोग बंकि हैं। मेरे भी हाथों में महेंदी रचेगी और पैरों में महावर| मुझे एक राजकुमारी गुडिया के जैसे विदा कर देखना तू और पापा कितने खुश होंगें।
माँ मैं एक लड़का नहीं
तो इसमें मेरा क्या दोष है ? मेरीमाँ , बेटे कीचाहत में मेरी हत्या मत कर ! माँइतनी निर्मम मत बन ! एकबेटे के लिए मेरी बलिमत दे माँ । जानतीहैं माँ ,इतना पापचढ़ेगा की तू हर जन्म में नवरात्रों में लाखों कन्याओं के पैरों को छु कर उन्हें खाना खिलाएगी तब भी यह पाप नही धुलेगा ।माँ ऐसा मत कर। मेरी प्यारी माँ में तेरे ही कलेजा का टुकड़ा हूँ मुझे जन्मने दे माँ । मैं तेरी ही बगिया की एक कली हूँ ! माँ मुझेखिलने का एक तो मौका दे ! मुझपर दया कर, मेरी मूकआवाज़ को सुन माँ .......
तेरी ही अजन्मी बेटी
मेरी प्यारी माँ ,
मैं बिलकुल ठीक हूँ , भगवान सेदुआ करती हूँ की तुम भी ठीक होंगी। माँ आज तुम पापा के साथ क्लिनिक गई थीं , वहां जोमैंने सुना मुझे तो अपने कानों के ऊपर यकीन ही नहीं आया। पापा के साथ जिन प्रेम के क्षणों में तुमने मुझे पाया , अब इसक्षण यह पता लगते ही की मैं एक कन्या हूँ तुम मुझसे छुटकारा पाना चाहती हैं।
मुझे तो अभी तक यकीन नहीं हो रहा हैं, मेरी माँजो गार्डन भी घूमने जाती है तो चीटियों की बाम्बियाँ को देख कर अपना रास्ता बदल लेती है, कि कहींचीटियाँ पैरों के नीचे न आ जाये | ऐसीकोमल ह्रदय वाली मेरी माँ क्या मेरी हत्या कर सकती हैं? बस एकबार माँ तू तसल्ली दे दे की जो मैंने सुना वह सब गलत था तो में सकून से रह सकूंगी क्योकि अभी मेरा दिल बैचैन और दहला हुआ है, और मेरीरूह काँपी हुई हैं।
डॉक्टर ने आपको तीन दिन बाद बुलाया हैं। माँ मेरी प्यारी माँ तू जानती हैं एक कठोर दिल वाला भी अपने शरण में आये प्राणी की रक्षा करता हैं, फिर माँमैं तो पूरी तरह से तेरी शरण में हूँ, तेरे अस्तित्व से ही मेरा अस्तित्व हैं, तेरे जीवनसे मेरे जीवन की डोर बंधी हुई हैं। मैं अशक्त, असहाय , निरीह तेरेही ऊपर आश्रित हूँ। माँ मेरा शरीर इतना छोटा और कमजोर हैं की हाथ उठा कर तेरी उंगली पकड़ कर तुझे क्लिनिक जाने से भी नहीं रोक सकती, माँ मुझमें इतना दम भी नहीं हैं की तुझ से लिपट सकूँ और तुझे रोकूँ।
और अभी तो मेरी आवाज़ भी नही निकलती, की कहूँमाँ तू वहां मत जा, लेकिन माँ, माँ तो बिना कहे अपने बच्चों की आवाज़ सुन लेती है, तू क्योंनहीं सुनती माँ ?
जानती हैं माँ मुझे मारने के लिए तू जो दवाइयाँ लेगी उससे मुझे कितनी तकलीफ होगी , मेरा कोमल शरीर उस पीढा को कैसे झेलेगा माँ ? अभी कुछदिन पहले तेरे हाथ में सब्जी काटते समय चाकू लग गया था ,तुझे कितनीतकलीफ हुई थी ? माँ वोदवाइयाँ बहुत बेरहमी से मुझे तिल-तिल कर मरेंगी तू देख सकेगी मेरा दर्द और में तेरे शरीर से ऐसे फिसल जाउंगी जैसे बंद मुट्ठी से रेत फिसल जाती है।
तू नहीं जानती माँ अगर तू क्लिनिक में मेरी हत्या करेगी ,तू तोबेहोश रहेगी माँ !उस देहसत भरे दृश्य को कसे देख पायेगी? कैसे वह धारदार औजार तेरी मासूम बेटी के टुकड़े-टुकड़े कर देगा, में अपने आप को बचाने के लिए दर्द और असीम पीढ़ा से छट - पटाती हुई घूम- घूम कर उस पापी औजार से बचने की कोशिश करूंगी माँ |जानती है उस समय मरे दिल की धड़कन 200 हो जाएगी , और जीवन की अंतिम लड़ाई लड़ते हुए मेरा मुंह वेदना से खुल जाएगा और एक कभी नसुनाई देने वाली चीख मेरे मुंह से निकल जाएगी |
मेरा शरीर गाजर-मुली के जैस काट दिया जाएगा , में अपनेको बचने के लिए कितना तडपूंगी लेकिन जब तू ही मेरी नहीं तो इस संसार में कौन मेरा अपना है? देख सकेगीमेरा क्षत- विक्षत, टुकड़ों-टुकड़ों में बंटा शरीर, अपने दिलकी कली की यह हाल देख कर जी लेगी क्या ?
होश में आने के दो घंटों बाद तू भी घर आ जाएगी, मुझे वहीँतन्हा , जर्द-जर्द, टुकड़ों - टुकड़ों ,हिस्सों- हिस्सों में बंटा छोड़ का।
माँ आज मैं यह चिठ्ठी तुझे लिख रही हूँ ,की शायदतेरा दिल बदल जाये और तू अपना इरादा बदल दे। माँ अभी तो मुझे कुछ दिखाई नहीं देता है लेकिन मेंयह दुनिया देखना चाहती हूँ । चाँद,सूरज,आसमान ,तारे,पक्षीऔर उन सभी फूलों को देखना चाहती हूँजो उस गार्डन में खिलतें हैं जहाँ तू रोज़ घुमने जाती हैं ।
माँ जब में तेरे आंगन में घुटने के बल चलूंगी तो तेरी पेशानी की सारी दर्द की लकीरें धुल जाएँगी।
माँ मेरे खर्चे की चिंता मत करना | मैं बड़ी चाची की छोटी बेटी के उतारे हुए कपडे पहन लुंगी| चांदी महंगी हैं माँ , तू मेरे लिए पायल मत लेना बस मेरे छोटे-छोटे पैरों में काले डोरे बांध देना और मेरे माथे पर अपनी काजल की डिब्बी से एक टीका लग देना, देखना इसीमें मैं कितनी सुन्दर लगूंगी |तेरी बेटीहूँ ना तेरी छाया , देखना तेरेजैसे अपने बाएँ गाल पर तिल लेकर पैदा हुंगी , तेरा वालाब्यूटी मार्क।
मैं जानतीहूँ माँ तुझे अदरक वाली चाय पसंद है और पापा को हर्बल टी , माँ मैं सब खाना पकाना बहुत जल्दी सीख जाउंगी | जबपापा को सर दर्द होगा तो अपने छोटे-छोटे हाथों से उनका सर भी दबा दूंगी और माँ तेरे सर में तेल की मालिश भी कर दूंगी।
बस माँ तू थोडा होंसला रख, मुझे इसदुनिया में आने दे |
मेरी पढाई- लिखाई कीतू चिंता मत करना | तेरी हीबेटी हूँ , देखना कितनीबुद्दिमान निकलती हूँ मैं । और मेरे दहेज़ की तो तू बिलकुल चिंता मत करना , मैं अपने परों पर खड़ी हूंगी न और तू देखना एकसुन्दर पढ़ा लिखा राजकुमार तेरी बेटी को विवाह कर ले जायेगा, माँ अभीभी दुनिया में बहुत अच्छे लोग बंकि हैं। मेरे भी हाथों में महेंदी रचेगी और पैरों में महावर| मुझे एक राजकुमारी गुडिया के जैसे विदा कर देखना तू और पापा कितने खुश होंगें।
माँ मैं एक लड़का नहीं
तो इसमें मेरा क्या दोष है ? मेरीमाँ , बेटे कीचाहत में मेरी हत्या मत कर ! माँइतनी निर्मम मत बन ! एकबेटे के लिए मेरी बलिमत दे माँ । जानतीहैं माँ ,इतना पापचढ़ेगा की तू हर जन्म में नवरात्रों में लाखों कन्याओं के पैरों को छु कर उन्हें खाना खिलाएगी तब भी यह पाप नही धुलेगा ।माँ ऐसा मत कर। मेरी प्यारी माँ में तेरे ही कलेजा का टुकड़ा हूँ मुझे जन्मने दे माँ । मैं तेरी ही बगिया की एक कली हूँ ! माँ मुझेखिलने का एक तो मौका दे ! मुझपर दया कर, मेरी मूकआवाज़ को सुन माँ .......
तेरी ही अजन्मी बेटी